मन की शक्ति
- जेपी एस . जौली ।
बसन्ती के बेटे गप्पू ने अपने स्कूल का होमवर्क करते हुए अपनी मम्मी से पूछा कि नारी का मतलब क्या होता है ? बसन्ती ने बेटे को समझाया कि नारी का मतलब होता है शक्ति । इसी के साथ गप्पू ने अपनी मां से दूसरा सवाल कर डाला कि अगर नारी शक्ति होती है तो फिर पुरुष को क्या कहते हैं ? बसन्ती ने कहा कि इस सवाल का जवाब तुम्हारे पिता अच्छे से दे सकते हैं क्योंकि उन्हें अपने पुरुष होने पर बहुत गर्व है । इससे पहले कि गप्पू कुछ और सवाल खड़ा करता , उसके पिता ने कहा कि तुम्हारी मां ने यह तो बता दिया कि नारी शक्ति होती है , परंतु उसे यह कहने में क्यूं शर्म आ रही है कि पुरुष का दूसरा नाम सहनशक्ति होता है । एक - दो पल कुछ सोचने के बाद गप्पू ने अपने मम्मी - पापा से कहा कि आपने शक्ति और सहनशक्ति के चक्कर में डाल कर मुझे और उलझा दिया है । मुझे ठीक से इतना बता दो कि सबसे बड़ी शक्ति कौन - सी होती है ? गप्पू के पिता ने उसका सही मार्गदर्शन करते हुए कहा कि बेटा सबसे बड़ी शक्ति तो हमारे मन की शक्ति होती है ।
गप्पू ने थोड़ा डरते हुए अपने पापा से पूछा कि यदि हम सभी के अंदर इतनी शक्ति होती है तो फिर आप मम्मी के सामने आते ही परेशान होकर घबराने क्यूं लगते हो ? अब उसके पापा ने अपनी नजरें टेढ़ी करते हुए कहा कि बेटा यह सच है कि तेरी मम्मी के आगे मेरी एक नहीं चलती , लेकिन अभी तुम्हारे दूध के दांत टूटे नहीं और तुम चले हो अपने ही पापा की टांग खींचने । इससे पहले कि गप्पू के पापा उसे और भाषण सुनाते , बसन्ती ने कहा कि तेरे पापा जैसे लोग मन की शक्ति के अभाव में मेहनत , हिम्मत और लगन से काम करके भी अपनी कल्पनाओं को साकार करने की बजाए बनते हुए काम को ही गुड़गोबर कर देते हैं । ऐसी स्थिति में इस तरह के डरपोक लोगों का मन हर समय चिंता में डूबा रहता है । जबकि हर कोई जानता है कि चिंता किसी भी आने वाली समस्या को हल नहीं कर सकती , बल्कि चिंता तो हमारी आज की खुशियों को भी जला कर राख कर देती है । जो लोग अधिक चिंता करते हैं उनके मन की शक्ति तो खत्म होती ही है , साथ ही उनके दिल में सकारात्मक विचार आने की बजाए उनकी बुद्धि और शरीर सब कुछ बिगड़ने लगता है । तेरे पापा जैसे लोगों ने जब खुद को सफलता की कसौटी पर कसने की बजाए दिन - रात कोल्हू के बैल की तरह परिश्रम करते हुए सारी उम्र काट देने की कसम खाई हो तो यह अपने दुश्मनों पर विजय कैसे पा सकते हैं ? बेटे जिस इंसान में आत्मशक्ति की कमी होती है वो चाहे कितनी ही मेहनत क्यूं न कर ले , वो कभी भी अपनी मंजिल को नहीं पा सकता ।
गप्पू ने अपनी मम्मी से पूछा कि क्या बच्चों में भी यह शक्ति आ सकती है । यहां बसन्ती को कहना पड़ा कि कोई बच्चा हो या बड़ा , कभी भी किसी इंसान को यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम उससे नहीं होगा । हर व्यक्ति हर काम को अच्छे से कर सकता है । सिर्फ जरूरत है अपना पूरा जोर लगा कर अपने लक्ष्य की ओर ध्यान देने की । कुछ लोगों में कई कारणों से मन की शक्ति का पूर्ण विकास नहीं हो पाता , लेकिन हर कोई इस राह की चाह रखने वाला इसे धीरे - धीरे बढ़ा कर अपने मन में पैदा कर सकता है । यह सच है कि एक आम आदमी छोटे से दुःख को देखते ही घबराता है , लेकिन जो कोई दु : ख का सामना हिम्मत से करता है सुख भी वो ही पाता है । जिस किसी के मन में मन की शक्ति की जगह भय रहता हो वो स्वयं के साथ दूसरों के लिए भी किसी खतरे से कम नहीं होता ।
अपने बेटे गप्पू को आगे समझाते हुए बसन्ती ने कहा कि जमाने में किसी परिवर्तन की बात या अथवा शरीर में किसी कारण से कोई कमी बेशी हो तो भी मन को निरंतर स्थिर बनाये रखना चाहिए । इसके जादू से दु : ख की घड़ियां भी पल भर में दूर हो जाती है । मन की शक्ति तो अपने आप में एक ऐसा अस्त्र है कि आप इसके एक तीर से कई निशाने लगा सकते हो । मन की ऊर्जा से आप बड़े से बड़े ताकतवर को भी शिकस्त देकर शत प्रतिशत सफलता पा सकते हैं । जो लोग सच्चे मन से कोई भी कार्य करते हैं उन्हें न केवल संतुष्टि और ताकत मिलती है बल्कि सफलता दिलाने में भाग्य भी उनका साथ देता है । वैसे तुम्हें यह बता दूं कि मन की शक्ति में वो ताकत होती है कि आप उससे जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हो । जो इंसान अपने अंदर यह क्षमता जगा लेता है उसके जीवन में सुख , समृद्धि एवं सफलता के द्वार अपने आप खुलने लगते हैं ।
बेटे की पीठ पर हाथ रखते हुए उसकी मां बसन्ती ने कहा कि इसी के साथ एक बात और बता दूं कि जिस तरह किसी का मन और सोच होती है उसे वैसे ही सब कुछ मिलता है । अब तितली के जीवन को ही देख लो , उस बेचारी को भगवान सिर्फ 14 दिन की उम्र देकर भेजता है । रंगबिरंगी फूलों से नाजुक तितलियां इन 14 दिनों में ही हजारों - लाखों मील का सफर तय करने के साथ हर किसी को खुश करते हुए अपनी ओर आकर्षित करती हैं । दूसरी ओर कछुआ 400 - 500 साल जी कर भी न तो अपने लिये और न ही किसी दूसरे के लिये कुछ भी कर पाता है । अंत में एक बात और याद रखना कि दुश्मनों पर विजय पाने वालों की तुलना में उसे शूरवीर मानना अच्छी बात है जो अपने मन पर विजय प्राप्त कर लेता है क्योंकि सबसे कठिन विजय , अपने मन पर विजय पाना होता है । जौली अंकल अपने अनुभवों के आधार पर इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हर व्यक्ति को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचने की हिम्मत सिर्फ मन की शक्ति ही दे सकती!
(जिस प्रकार चंदन को रगड़ने से खुशबू मिलती है उसी तरह संपूर्ण आत्मविश्वास रखने से ही हमें प्रोत्साहन मिलता है ।)
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