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सफलता और परिश्रम (Success and Hard Work)

                   


      सफलता और परिश्रम      (Success and Hard Work) 




   परिश्रमी कभी दरिद्र नहीं रहता, आत्मचिंतक कभी
पापी नहीं हो सकता, मौन रहने से कभी झगड़ा नहीं
होता और सावधान व्यक्ति को भय नहीं सता सकता।

                                                     -चाणक्य


कोई चाहे किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त क्यों न
करे, उसमें कुछ-न कुछ विशेष गुण जरूर होते हैं।
यह भी कहा जा सकता है कि जब आप सफल हो
जाते हैं, तब आपके स्वभाव, आपकी शैली और
आपके हाव-भाव को विशिष्ट मान लिया जाता है।
व्यवहार मनोवैज्ञानिकों की दृष्टि में प्रत्येक सफल
व्यक्ति में कुछ गुण ऐसे होते हैं, जो उन्हें सफलता के
शीर्ष पर ले जाने में मदद करते हैं। महत्वाकांक्षा कड़ा
परिश्रम, नयी सोच, आत्म विश्वास, आशावादिता
और समय की कद्र ऐसे ही कुछ गुण है।

काम की धुन
    
       विश्वविख्यात भारतीय उद्योगपति जे. आर. डी.
टाटा को काम करने का नशा था। वह प्रत्येक कार्य में
उत्कृष्टता हासिल करने का प्रयास करते थे और
उनकी कार्यशैली में एक विशिष्ट नैतिकता होती थी,
जिसने टाटाओं को उद्योग की दुनिया में ऊँचाईयों पर
पहुंचाया।

      कितने ही उद्योगपति कबूल करते हैं कि उन्हें
काम का नशा है। अटलांटा के नौजवान उद्योगपति
राबर्ट एडवर्ड टर्नर तृतीय ने एक साक्षात्कार में कहा
था, 'मैं घरवालों की सारी आवश्यकताएं पूरी कर
चुका हूँ, फिर भी कमाए जा रहा हूँ। क्यों? क्योंकि
यह एक ऐसी मस्ती है, जो छोड़ते नहीं बनती।
यूनाइटेड टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन हैरी ग्रे को
भयंकर दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़
गया। इस पर उन्होंने फाइलें लेकर अपने सेक्रेटरी को
भी वहां बुलवा लिया और महीनों पीठ के बल लेटे-
लेटे काम निपटाते रहे।

      रिलायंस उद्योग समूह के संस्थापक धीरूभाई
अंबानी ने बहुत थोड़ी संपदा से कार्य आरंभ किया।
कम संसाधनों से अधिक उत्पादन तथा हर कार्य में
गुणवत्ता को सर्वोपरि रखकर उन्होंने रिलांयस उद्योग
को समृद्ध बनाया। इसी तरह मोदी उद्योग के संस्थापक
राय बहादुर गूजरमल मोदी और उनके पुत्र भी आगे
बढ़े। आधुनिक भारतीय उद्योगपति भी अपनी
कार्यशैली से ही दुनिया में कामयाब हुए हैं।

      सफल व्यक्ति इस कदर कार्यनिष्ठ होते हैं कि
उन्हें कभी समय नष्ट करना छुट्टी लेना नहीं भाता।
अमेरिकन स्टैंडर्ड इन्कॉर्पोरेटेड के अध्यक्ष विलियम
मार्क्वाड लंबी छुट्टियों के बजाय लंबे वीक एंड्स को
पसंद करते हैं। वह कहते हैं, 'चौथा दिन बीते-बीतते
मुझे अकुलाहट होने लगती है। अटलांटा के फूक्वा
इंडस्ट्रीज के संस्थापक जॉन लुक्स फूक्वा एक बार दो
सप्ताह की छुट्टी मनाने स्विट्जरलैंड गए, मगर तीन
दिन बाद ही दफ्तर लौट आए। बोले, 'महल सारे
एक-से होते हैं। एक देखा तो समझो, सभी देख
लिए।' विलक्षण कार्यानुरक्ति के लिए सभी को
असाधारण ऊर्जा चाहिए। बहुत से होनहार, व्यक्ति
केवल इसलिए सफल नहीं हुए कि वह एक बंधी
लीक पर चलने वाले थे। जेरॉक्स के पीटर मैककोलो 
कहते हैं, 'जल्दी ही यह पता चल जाता है कि कौन
दौड़ में पिछड़ जाएगा।' यही बात लिटन इंडस्ट्रीज के
टैक्स थार्नटन ने कही है, 'जो मुकाबले के लिये मन
से तैयार नहीं रहते, उन्हें जल्दी ही पराजय का सामना
करना पड़ता है। जीतने वाले के सपनों में भी जीत
होती है।

प्रेरक है सत्ता

    सफल उद्यमियों को कड़ी मेहनत की प्रेरणा कहाँ
से मिलती है? धन की कामना आदमी को व्यवसाय
की ओर उन्मुख करती है, परंतु ऊंचाइयां छूने का
प्रेरक धन नहीं होता। यह प्रेरक है सत्ता की लालसा।
मानसिटो कंपनी के प्रधान अधिकारी जॉन वेलर

हैनली को अब तक याद है कि किशोरावस्था से ही वे
दूसरों से मनचाहा काम करा लेने की फिराक में रहते
थे। शुरू-शुरू में जब वे सोडा वाटर की दुकान पर
काम करते थे, तब भी वे ग्राहकों से माल्टमिश्रित
मिल्क शेक में अंडा डालकर पीने का आग्रह करते
रहते थे। डोनाल्ड वेल्सन फ्राई अपने परिश्रम के बल
पर 44 वर्ष की आयु में फोर्ड मोटर्स के ग्रुप- वाइस
प्रेज़ीडेंट बन गए, पर उन्हें तसल्ली नहीं हुई। वे कहते
थे, मुझे एक पूरा कारोबार खुद चलाना है। अंततः
फोर्ड कंपनी को छोड़कर वे बेल एंड हाबेल के प्रधान
अधिकारी बन बैठे। यह कंपनी फोर्ड के मुकाबले
बित्ते-भर की थी, मगर पूरी की पूरी उनके अधीन थी।
बहुत जल्दी ही वेल्सन की गिनती संसार के प्रमुख
कामयाब व्यक्तियों में होने लगी।

जबर्दस्त जिज्ञासु

   सभी सफल व्यक्ति जबर्दस्त जिज्ञासु होते हैं।
होनहार व्यक्तियों के गुण उनके करियर के प्रारंभ में
ही स्पष्ट हो जाते हैं। वह कभी भी अपनी जगह पर
नहीं बैठते। वह दूसरे विभागों में घूमते हैं, लोगों से
सवाल-जवाब करते हैं, उन्हें परामर्श देकर, तंग
करते रहते हैं। एटी एंड टी के पूर्व प्रधान अधिकारी
जॉन डिवट्स कई बार मेंटनेंस विभाग के कर्मचारियों
के साथ टेलीफोन लगाने या तारों की मरम्मत में
उनका हाथ बंटाते रहते। 'फॉच्च्यून' में प्रकाशित उनके
एक उपाध्यक्ष का संस्मरण है: "बॉस और मैं एक
कमरे के सामने से गुजरे। वहां बहुत से लोग कुछ
मैंने पूछा, 'जॉन साहब, पता नहीं ये सब क्या हो रहा है?' इस पर वे मशीनों से माथापच्ची कर रहे थे। जरा तेज आवाज में बोले, 'पर मैं जानता हूं वे क्या कर रहे हैं।

      सफल व्यक्ति कभी भी अवसर नहीं गंवाते। मौका
नहीं चूकते। वह तो शिकार की ताक में घात लगाए
सिंह की भांति होते हैं। सही अवसर सामने आया और
उन्होंने धर दबोचा। कोई भी लाभकारी अवसर निजी
फायदे का कोई भी मौका उनके हाथ से नहीं निकल
सकता। इस सबके अलावा, ये लोग सच्चे अर्थों में
आस्थापात्र होते हैं। अपने काम में, अपने गुणों में,
अपने साथियों पर और अपने समाज पर उनकी गहरी
आस्था होती है। और क्यों न हो, इसी से उन्हें
सफलता जो मिली है!


                                    ~*~




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