Poem in Hindi
मिलन मेरा तुम्हारा
जब भी अपने आप को
दर्पण में निहारा,
खूब सजाया खुद को
खूब संवारा.
जंगल में वादियों में
जब भी गया तो,
नाम तेरा जोरशोर से
ही पुकारा.
यह चमेली झर रही
कुछ इस तरह यारो,
टूट कर गिरता हो
जैसे कोई सितारा.
आज देखा जब उन्हें तो
यों लगा जैसे,
चांद को किस ने
यहां धरती पे उतारा.
तुम धरा हो खूबसूरत
आसमान में,
दूर क्षितिज में हो
मिलन मेरा तुम्हारा.
✏ राकेश शुक्ल
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