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आलस्य की आदत तोड़े (Alashya ki addat tode)


              
   आलस्य की आदत तोड़े
             (बहाने देने से बचे)      
                    



इच्छाशक्ति एक आत्मिक ऊर्जा है, जो हर इंसान के अंदर होती है। लेकिन सवाल यह है कि इस ऊर्जा का इस्तेमाल हरेक कितना कर पाता है?
अधिकांश लोग इच्छाशक्ति के इस ऊर्जा का
इस्तेमाल ही नहीं करते क्योंकि वे 'आलस्य' को
प्राथमिकता देते हैं। इंसान पर आलस्य इतना हारवी हो जाता है कि आगे चलकर वही उसके पतन का कारण बन जाता है। अकसर यह देखा गया है कि जिन लोगों में तमोगुण ज़्यादा है, उनमें इच्छाशक्ति का अभाव होता है।
जब इंसान के शरीर में 'आलस्य' को प्रवेश मिलता
है तब वह उसी में रहना चाहता है। क्योंकि उसे
कुछ न करते हुए पड़े रहना बड़ा अच्छा लगता है।
यह उसके लिए इनाम मिलने जैसे होता है।
उदाहरणतः एक तमोगुणी इंसान रोज़ ऑफिस
जाने में देरी करता है। इसलिए वह सोचता है कि
कल से वह रोज़ 5 बजे उठेगा और ऑफिस जल्दी पहुँचेगा। लेकिन जब भी सुबह पाँच बजे का अलार्म बजता है, वह नींद से उठ ही नहीं पाता। उस समय उसके लिए नींद 'इनाम' का रूप ले लेती है। उसके अंदर इतनी सुस्ती आती है कि वह अपनी आँखें खोल ही नहीं पाता। जिस कारण वह हमेशा अपने बॉस को बहाने देते रहता है। देखा जाए तो आलस्य अपने आपमें एक बुरी
आदत है, ऊपर से यह आदत इंसान के अंदर और
एक बुरी आदत का निर्माण करती है, जो है बहाने
देना। इसे कहा जाता है कि एक तो करेला, दूसरे
नीम-चढ़ा। ऐसे लोगों को हमेशा छोटी-छोटी बातों में बहाने देने की आदत होती है। जो उनके जीवन में इतनी सूक्ष्म होती है कि वे समझ ही नहीं पाते, इसके कारण वे अपना और दूसरों का बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं। मुख्य रूप से तीन तरह के बहाने इंसान देते हुए नज़र आता है।
1. बुरे कारण (बैड रिजन): बैड रिजन यानी ऐसे जो आपके साथ-साथ लोगों को भी पता
कारण होता है कि आप आलस्य की वजह से कार्य न
करने का बहाना बना रहे हैं।
जैसे एक इंसान ने अपने नौकर से पूछा, जो उस
वक्त खाना बना रहा था, 'आज खार्न में क्या बना
रहे हो?' नौकर ने जवाब दिया,'मैं फिश बना रहा
हूँ।' इस पर मालिक ने कहा, 'ठीक है, फिश को
अच्छे से धोकर बनाना। तब नौकर ने तपाक से
जवाब दिया, 'मालिक, फिश को धोने की क्या
आवश्यकता है, वह तो पानी में ही रहती हैं न!
इसे कहते हैं, बैड रिजन। जिसे सुनते ही पता
चलता है कि सामनेवाला बहाना बना रहा है।
2. बड़े कारण (बिग रिजन): बिग रिजन देना
यानी किसी बड़ी घटना को कारण बनाकर पेश
करना। जैसे 'यह कार्य हम नए साल से करेंगे...
फलाँ की शादी के बाद करेंगे... इस-इस त्यौहार के बाद करेंगे आदि। देखा जाए तो वह कार्य आज भी हो सकता है। मगर जिन्हें कामों को टालने की
आदत है, वे ऐसे कारण देकर काम करने से बचना चाहते हैं। जैसे एक मैनेजर अपने कर्मचारी से पूछता है, 'यह काम क्यों नहीं किया?' तो वह कहता है, 'अब
दिवाली आ रही है न इसलिए मैं व्यस्त हूँ, दिवाली
के बाद कर लूँगा।' हालाँकि मैनेजर को दिख रहा
है, सामनेवाला अपने आलस्य के कारण काम न
करके, बहाना देकर बचना चाहता है। मगर दिवाली में व्यस्तता के बहाने को नकारा भी नहीं जा सकता इसलिए लोग भी चुप हो जाते हैं।
3. अच्छे कारण (गुड रिजन): ये ऐसे कारण होते
हैं, जिन्हें आप बहाने नहीं समझते। मगर गौर किया जाए तो ये खूबसूरत कारण होते हैं। हमें ऐसे बहानों में बहने से बचना चाहिए।
जैसे पिताजी बेटे से कहते हैं, 'बेटा, ज़रा बत्ती तो
बुझा दो' तब बेटा कहता है, "पिताजी, आप अपनी आँखें बंद कर लीजिए और समझ जाइए कि बत्ती
बुझ गई है। फिर से पिताजी बेटे से कहते हैं, 'अच्छा, जरा
बाहर जाकर देखो कहीं बारिश तो नहीं हो रही है?' इस पर भी बेटे के पास जवाब तैयार है। वह कहता है, 'पिताजी, आपके पलंग के नीचे बिल्ली आकर
बैठी है, उसे छूकर देखिए, वह अभी-अभी बाहर से आई है, आपको पता चल जाएगा कि बाहर बारिश हो रही है या नहीं।
अंततःपिताजी बेटे से कहते हैं, 'जरा दरवाज़ा तो
बंद कर दो। इस पर बेटे का जवाब है, 'सब काम
क्या मैं ही करू, कुछ काम आप भी कीजिए न!
खैर यह तो चुटकुला था मगर ऐसे कारण भी सुनने में कितने तर्कसंगत लगते हैं। इन कारणों में से कोई भी गलती नहीं ढूँढ़ पाएगा, जबकि है तो यह
कारण ही। जो लोग बहाने देने में निपुण होते हैं, उनके काम हमेशा आधे-अधूरे रहते हैं। इसी कारण उनका
आत्मविश्वास भी कमज़ोर होने लगता है। जिससे
उनके अंदर इच्छाशक्ति की कमी पाई जाती है।
कोई भी बहाने देने से पहले हरेक को अपने आपसे
यह पूछना चाहिए कि 'वाकई मैं जो बहाने दे रहा
हूँ, क्या वे सही हैं, तर्कसंगत हैं? या मैं अपने
आलस्य में रहना चाहता हूँ?' यह पूछताछ करने के
बाद आपको पता चलेगा कि हमें अपने आपको
प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।
अत: आगे से जब भी मन कोई बहाना दे तब खुद
को याद दिलाएँ, "नो इक्स्क्यूज प्लीज' यानी
कृपया कोई बहाना न दें। इसे मंत्र की तरह
प्रयोग में लाया जा सकता है। दिनभर में देखें कि

कहाँ-कहाँ आपका मन आपको बहानों में उलझा
रहा है।
जैसे आपको कोई काम आज ही करना है और मन
कहे, 'कल करता हूँ तब स्वयं को याद दिलाएँ,
'नो इक्स्क्यूज प्लीज' या आप व्यायाम करने जा
रहे हैं और शरीर में थोड़ी थकावट है तब स्वयं से
कहें, 'नो इक्स्क्यूज प्लीज' या आपको ध्यान में
बैठना है और आप बोर हो गए हैं तब भी आप इस
मंत्र के सहारे ध्यान का अभ्यास आसानी से कर
पाएँगे। इस तरह बहानों में न फँसकर आप अपने
कार्य को अंजाम दे सरकेंगे।
इस मंत्र के साथ-साथ यह समझ भी जोड़े कि चाहे
मन कितने भी बहाने दें मगर जब तक आप अपने
कार्य को अंजाम नहीं देते तब तक वह कार्य अधूरा
ही रहता है। अर्थात आलस्य + बहाने देना = काम
न होना। इसलिए बहाने देने की बजाय काम को
पूरा करने की ठान लें।
मानो, आपको रात के जूठे बर्तन साफ करने हैं।
और आप आलस्य की वजह से उसे वैसे ही रख रहे
हैं तो उन्हें साफ कर डालें... आपको किसी को
कल मीटिंग के लिए मैसेज भेजना है तो उसी वक्त
भेज दें और अपनी इच्छाशक्ति का बल बढ़ाएँ।
अगर आपको इच्छाशक्ति का महत्त्व पता है और
आप उसे विकसित करना चाहते हैं तो उसके लिए
निश्चित कदम उठाना अनिवार्य है।
बहाने न देने और चुस्त रहने के फायदे
बताएँ ताकि शरीर, मन और बुद्धि तीनों आपको
सहयोग कर पाएँ। अन्यथा शरीर सहयोग करने के
को खुद बजाय आलस्य में ही रहना चाहेगा। जैसे अगर
नौकर को कहा जाए, 'रूम साफ करो' और वह
कहे, 'पहले नाश्ता करने दो', फिर कहे, 'पाँच
मिनट झपकी लेने दो', उसके बाद कहे, 'पहले मैं
फ्रिज साफ करूँगा' तो इसका अर्थ हुआ उसे जो
काम अच्छे लगते हैं, वह उन कामों को पहले
करना चाहता है।
इसी तरह इंसान का शरीर भी वह नहीं करता, जो
उसकी पहली आवश्यकता होती है। जब वह
'पहला काम' पहले पूर्ण करना सीख जाएगा तब
वह हर बुरी आदत से बाहर आएगा और बहानों में
बहना बंद करेगा।








#Hi Friends आपको पढ़कर कैसा लगा, आप हमें Comments के माध्यम से बताये. मुझे Motivate मिलेगा,और Article share करने की.


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